October 13, 2010

मुठी खुली है

मुट्ठी खुली है
हाथ खाली हैं
एक झोंका आया तेरा
भर गया, सब भर गया

इल्तजा है ये तुझ से
कर दे मुझ को कर दे खाली
'मुझ' से मुझ को कर दे खाली
भर दे भर दे भर दे तुझसे 'रब्बा'

मुठी खुली है
हाथ खाली हैं

3 comments:

  1. Madm poetess-photographer-painter ! Great Going !!!! Loved this poem. And Love you :)

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  2. :)) luv u too >:)<

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  3. ahhhhhhhhhhhhhhhh!!! serene !!

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Thanks for your message :)