May 16, 2011

सच...

जान गयी ये सच आज 
नहीं जानी कुछ भी अभी 

जिस जिस को सच समझा 
छूटता वो हर एक गया 

ठहरने की लाखों कोशिशें की
बाहर कहीं ठहर ही न सकी 

अब भीतर रुख करना है 
बस मिटना है
मिट जाना है
हो जाना है
जान जाना है

उसे जो सच है
उसे जो सच है 

2 comments:

  1. its heartening to see you bloom! :)

    may you be the truth and spread your light to all of us! :)

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  2. Ati sundar, Tanuji. God bless us. Aameen
    Love

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Thanks for your message :)