October 11, 2017

कैसे तेरा धन्यवाद् करूँ ओ प्रिये

कैसे तेरा धन्यवाद् करूँ
ओ प्रिये

तू कितने रूपों में आये
मुझ पर इतना प्रेम बरसाए
ओ प्रिये
कैसे तेरा धन्यवाद् करूँ
ओ प्रिये

कभी नरम गद्दों पर सुलाए
कभी काम करवाए
कभी भगाये
क्या मेरे लिए अच्छा है
तू जान वही करवाए
ओ प्रिये

कैसे तेरा धन्यवाद् करूँ
ओ प्रिये

इतना प्रेम तू क्यों बरसाए
क्या ऐसा मैंने किया
जो तू हज़ारों रूपों में आ
मेरा ध्यान रखवाए
मुझपर प्रेम उड़ाए, बरसाए

कैसे तेरा धन्यवाद् करूँ
ओ प्रिये

जब बस प्रेम ही हो जीवन में
कुछ और शेष न रह जाये
तो क्या रह जाये
तू ही तू
तू ही तू

:)

तू ही तू
ओ प्रिये

तू ही तू
तू ही तू
ओ प्रिये

:)

तू ही तू
तू ही तू

:)

- तनु श्री


No comments:

Post a Comment

Thanks for your message :)