तेरा चित्र बना रही थी
चित्र बनाते बनाते
कुछ अहसास हुआ
तेरी आखें बनाते बनाते
ये साफ़ हुआ
गुरु की आँख
तेरी ही तो आँख है
एक ही तो आखँ है
गुरु नानक की
ईसा की
एक ही तो आँख है
बुध की
महावीर की
ओशो की
मीरा की
एक ही तो आँख है
सद्गुरु की
और तेरी
जिसने भी है तुझे जाना
वो कहाँ रहा
कहाँ रही उसकी आखें
तू ही तो है
इन आखों में बसा
दिखा रहा रास्ता
अपने तक पहुंचने का
कितने नासमझ है हम
जो दिखाए गए रस्ते पर
ना चल कर
नक़्शे को है जकड़े हुए
कितने नासमझ है हम
जो तेरी एक आँख को
ना है देख सके
देखना तो छोड़ो
हमने तो तुझे सूली पर चढ़ाया
ज़हर पिलाया
जब जब तू आया
हमे रास्ता दिखाने
झूठ के जंजाल से
मुक्त कराने
नींद से जगाने
हमने तेरा इतना किया अपमान
कब है हमने तुझे माफ़ किया
किसी को ना बख्शा हमने
बुध पर थूका
मीरा को पागल ठहराया
मंसूर के हाथ पैर कटवाए
ओशो की निंदा की, गुनहगार ठहराया
बहाउल्लाह को कैद करवाया
कब हमने तुझे नींद से जगाने को
माफ़ किया
कब हमने तुझे बख्शा
कुछ हैं पर
जो हैं देख सके
तेरी एक आँख को
तेरे प्रेम में पागल
तेरे दिखाए गए रस्ते पर चलते
कुछ हैं
ऐसे भी पगले
जिनसे तू छिप ना सका
तेरा चित्र बनाते बनाते
ये अहसास हुआ
तेरी आखें बनाते बनाते
ये साफ़ हुआ
गुरु की आँख
तेरी ही तो आँख है
एक ही तो आँख है
सद्गुरु की
और तेरी
- तनु श्री
चित्र बनाते बनाते
कुछ अहसास हुआ
तेरी आखें बनाते बनाते
ये साफ़ हुआ
गुरु की आँख
तेरी ही तो आँख है
एक ही तो आखँ है
गुरु नानक की
ईसा की
एक ही तो आँख है
बुध की
महावीर की
ओशो की
मीरा की
एक ही तो आँख है
सद्गुरु की
और तेरी
जिसने भी है तुझे जाना
वो कहाँ रहा
कहाँ रही उसकी आखें
तू ही तो है
इन आखों में बसा
दिखा रहा रास्ता
अपने तक पहुंचने का
कितने नासमझ है हम
जो दिखाए गए रस्ते पर
ना चल कर
नक़्शे को है जकड़े हुए
कितने नासमझ है हम
जो तेरी एक आँख को
ना है देख सके
देखना तो छोड़ो
हमने तो तुझे सूली पर चढ़ाया
ज़हर पिलाया
जब जब तू आया
हमे रास्ता दिखाने
झूठ के जंजाल से
मुक्त कराने
नींद से जगाने
हमने तेरा इतना किया अपमान
कब है हमने तुझे माफ़ किया
किसी को ना बख्शा हमने
बुध पर थूका
मीरा को पागल ठहराया
मंसूर के हाथ पैर कटवाए
ओशो की निंदा की, गुनहगार ठहराया
बहाउल्लाह को कैद करवाया
कब हमने तुझे नींद से जगाने को
माफ़ किया
कब हमने तुझे बख्शा
कुछ हैं पर
जो हैं देख सके
तेरी एक आँख को
तेरे प्रेम में पागल
तेरे दिखाए गए रस्ते पर चलते
कुछ हैं
ऐसे भी पगले
जिनसे तू छिप ना सका
तेरा चित्र बनाते बनाते
ये अहसास हुआ
तेरी आखें बनाते बनाते
ये साफ़ हुआ
गुरु की आँख
तेरी ही तो आँख है
एक ही तो आँख है
सद्गुरु की
और तेरी
- तनु श्री
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