क्यों है ये दुःख, दर्द
क्यों ये पीड़ा
समझ में आये न
शायद इच्छा करने का है नतीजा
इच्छा तो मेरी है
मुझे ही समझ आये
तुझे क्यों न आये?
क्यों मैं बन्धुं उससे
जिससे मैं प्रेम करून???
जब मोहे न बांधें तुझे
तो क्यों तू बांधें मुझे
जिसमे कोई बंधन न हो
ऐसा प्रेम कहाँ
ढूंढो उसे
ढूंढो उसे...
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