August 9, 2010

तू गूंजी, यूँ गूंजी ...ध्वनि

तू गूंजी यूँ गूंजी
भीतर मेरे ऐसे
उस गूँज से मैं गूँज उठी

खाली इस कमरे में मेरे
तेरी गूंजन से मैं भर उठी

कभी टकराती थी दीवारों के संग
कभी किसी अंतर से उठती थी
लगती थी मेरी, पर मेरी न थी

तू गूंजी यूँ गूंजी
भीतर मेरे ऐसे
उस गूँज से मैं गूँज उठी

तू गूंजी यूँ गूंजी ... 

No comments:

Post a Comment

Thanks for your message :)